केंद्रीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के नतीजे सामने आ चुके हैं। रिजर्व बैंक ने एक बार फिर रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत रखने का निर्णय लिया है। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसकी जानकारी दी है। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली एमपीसी बैठक 3 अप्रैल को शुरू हुई थी।
महंगाई दर और इकोनॉमिक गतिविधियों में स्थिरता को देखते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत की अगुवाई में कमेटी ने ब्याज दरें स्थिर रखने का फैसला किया है। आरबीआई की रुख में बदलाव नहीं होना बताता है कि केंद्रीय बैंक ने अभी भी महंगाई दर को नियंत्रित करने पर अपना ध्यान केंद्रीत किया हुआ है।
केंद्रीय रिजर्व बैंक ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी। इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट 6.5 प्रतिशत कर दी गई। इसके बाद लगातार 7 बार केंद्रीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक हो चुकी है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित कर क्रमशः 8.2 और 8.1 प्रतिशत कर दिया है। पिछले वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही थी।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एमपीसी ने वृहद आर्थिक परिस्थितियों की समीक्षा करने के बाद बहुमत से रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया है। एमपीसी के 6 सदस्यों में से 5 ने रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि खुदरा महंगाई भले ही मौजूदा सीरीज में निचले स्तर पर आ गई हो, लेकिन अभी खाने-पीने की चीजों के मामले में महंगाई की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।