गोण्डा। भारत की प्राचीनतम 64 कलाओं में जादू विधा का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसके माध्यम से जादू कलाकर रंगमंच पर अपनी प्रतिभा को बिखेरता है। घर परिवार समाज में पाए जाने वाले छोटे बड़े वस्तुओं, पशु पक्षियों को इस जादू विधा से जादूगर दर्शकों का मनोरंजन कराता है। जिसे देख दर्शक मंत्रमुग्ध होते हैं। दर्शकों में सकारात्मक सोंच लाना, जोश उमंग ऊर्जा से ओतप्रोत करना तथा ढोंग ढकोसला रूढ़वादिता पर कड़ा प्रहार, अज्ञानता अंधकार को दूर कर जन जन में जागरूकता लाना ही मुख्य उद्देश्य है।
यह मानना है गोण्डा शहर में जादू शो कर रहे उत्तर भारत के ख्यातिप्राप्त जादूगर हेमराज का। जादूगर हेमराज का कहना है कि जादू कोई चमत्कार या दैवीय शक्ति नहीं है। बल्कि जादू दर्शकों के लिये मनोरंजन का एक अनुपम साधन है। एक दिव्य व अलौकिक भारत की प्राचीनतम 64 कलाओं में जादू एक सर्वाेपरि विधा है।
करनैलगंज के एक पिक्चर हाल में जादू शो कार्यक्रम समापन होने के बाद जादूगर हेमराज ने गोण्डा शहर में जादू शो करने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि गोण्डा शहर के रोडवेज बस स्टॉप के सामने शर्मा मैरेज हाल में तीन अगस्त से जादू शो प्रारंभ है जहां प्रतिदिन दो शो दिखाया जाता है और रविवार को तीन शो दिखाया जाता है। अपने हैरत अंगेज एक से बढ़कर एक बेहतर जादू कारनामों में ख्यातिप्राप्त जादूगर का कहना है कि दादा न भैया सबसे बड़ा रुपैया का ख्वाब देखने वालों के लिये पर्यावरण सरंक्षण का ध्यान रखना जरूरी है। जीवन अनमोल है और इसके लिए हमे जागरूकता का परिचय देते हुए अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए, जिससे बिगड़ रहे पर्यावरण के संतुलन में पेड़ पौधे सहायक बन सकें। जादूगर हेमराज केसरवानी ने बताया कि पेड़ पौधे मानव जीवन के लिए बेहद हितकारी हैं। वृक्ष हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। वेशकीमती लकड़ियां व शीतल छाया देते हैं। प्रकृति को हरा भरा व सुरक्षित रखना हर मानव प्राणी का दायित्व है।
ख्याति प्राप्त जादू कला में निपुण जादूगर हेमराज ने बताया कि जादू कला प्रदर्शन में लड़की को हवा में उड़ाना, जादू कला के माध्यम से मानव शरीर के दो टुकड़े कर सिर व पैर के हिस्से को अलग कर देना, पुलिस पब्लिक मुजरिम का अभिनय, मां तुझे सलाम जैसे सनसनीखेज जादुई जलवा उनके खेल का मुख्य आकर्षण है।