भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज कहा कि चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल और प्रणोदन मॉड्यूल सफलतापूर्वक अलग हो गए हैं। अब लैंडर मॉड्यूल शुक्रवार को चंद्रमा के आसपास की थोड़ी निचली कक्षा में उतरेगा। लैंडर मॉड्यूल में लैंडर और रोवर होते हैं। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रणोदन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है।
इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “लैंडर मॉड्यूल ने कहा, यात्रा के लिए धन्यवाद, दोस्त। लैंडर मॉड्यूल, प्रणोदन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो गया है। 18 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल के भारतीय समयानुसार करीब चार बजे डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरते हुए चंद्रमा की थोड़ी निचली कक्षा में उतरने की संभावना है।”
इसरो के अनुसार, लैंडर चंद्रमा की 153 किमी गुना 163 किमी की कक्षा में प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हुआ. प्रोपल्शन मॉड्यूल इसी कक्षा में महीनों/वर्षों तक अपनी यात्रा जारी रखेगा। इसरो ने बताया कि इस पर स्थित ‘शेप’ पेलोड पृथ्वी के वायुमंडल का स्पेक्ट्रोस्कोपिक अध्ययन करेगा और पृथ्वी पर बादलों से ध्रुवीकरण में भिन्नता को मापेगा, ताकि सौर मंडल से बाहर के ग्रहों के चिह्न एकत्र किए जा सकें जहां इंसानों के लिए जीवन संभव हो। इस पेलोड को इसरो के बेंगलुरु स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर द्वारा विकसित किया गया है।
चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। इसके बाद इसने छह, नौ और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षाओं में प्रवेश किया तथा उसके और निकट पहुंचता गया। जैसे-जैसे मिशन आगे बढ़ता गया तो इसरो ने चंद्रयान-3 की कक्षा को धीरे-धीरे घटाने और उसे चंद्रमा के ध्रुव बिंदुओं पर तैनात करने की प्रक्रियाओं को अंजाम दिया। अंतरिक्ष यान के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है।