मुख्य सचिव ने 23 कैदियों और 3 जेल कर्मचारियों को तिनका-तिनका इंडिया अवॉर्ड्स 2024 से किया सम्मानित

Dec 10, 2024 - 20:51
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मुख्य सचिव ने 23 कैदियों और 3 जेल कर्मचारियों को तिनका-तिनका इंडिया अवॉर्ड्स 2024 से किया सम्मानित

लखनऊ। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने जिला कारागार, लखनऊ में आयोजित तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स 2024 में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में उन्होंने 23 कैदियों और 3 जेल कर्मचारियों को तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स 2024 से सम्मानित किया, जिसमें 23 कैदियों में से 13 सजायाफ्ता और 10 विचाराधीन कैदी हैं।

अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने अवार्ड से सम्मानित बंदियों व अन्य कर्मियों को बधाई दी और प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि जेल प्रशासन एवं तिनका-तिनका फाउंडेशन द्वारा किया गया प्रयास सराहनीय है। इस अवार्ड ने प्रतिभाशाली व्यक्तियों को एक मंच प्रदान किया है, जिससे उनकी कला सबके सामने आ सके।

इससे पूर्व, उन्होंने वीडियो वॉल, महिला अस्पताल के क्रेच आदि का भ्रमण किया तथा कैदियों द्वारा तैयार किये गये उत्पादों का अवलोकन किया। इस अवसर पर विचाराधीन कैदी आनंद सिंह ने मुख्य सचिव की पेंटिंग मुख्य सचिव को भेंट की।

इस साल अवॉर्ड के लिए चार श्रेणियां थीं- पेंटिंग, स्पेशल मेंशन, बंदिनी और जेल स्टाफ। इन चार श्रेणियों में कुल 26 विजेता हैं। इन विजेताओं में 23 बंदी और 3 जेल कर्मचारी हैं। 23 कैदियों में से 13 सजायाफ्ता हैं और 10 विचाराधीन हैं। पेंटिंग विजेताओं में 11 पुरुष और 5 महिलाएं शामिल हैं। इस साल पेंटिंग का विषय ‘जेल में मुलाकात’ था। तिनका तिनका बंदिनी पुरस्कार के तहत इस साल तिहाड़ जेल 6 में बंद एक विदेशी नागरिक (जाम्बिया, दक्षिण अफ्रीका) को भी सम्मानित किया गया। इस साल विजेताओं में सबसे ज्यादा बंदी उत्तर प्रदेश राज्य के हैं। चार श्रेणियों में यूपी के 7 बंदियों ने अवॉर्ड हासिल किया है। इस बार स्पेशल मेंशन अवॉर्ड उस बंदी को दिया गया है, जो डॉक्टर (बीएमएचएस) के साथ टीचर (बीएड) है, वहीं, 3 जेल कर्मचारियों को भी उनके सराहनीय प्रयासों के लिए सम्मानित किया जा रहा है, जिनमें से 2 महिलाएं हैं।

इस साल जूरी के सदस्य पूर्व जेल महानिदेशक दिल्ली अजय कश्यप, आईपीएस (सेवानिवृत्त), पूर्व जेल महानिदेशक हरियाणा के0 सेल्वराज, आईपीएस (सेवानिवृत्त), तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक डॉ0 वर्तिका नंदा थीं।

पेंटिंग श्रेणी में इस बार प्रथम पुरस्कार वसंत भाई करसनभाई चौहान ने हासिल किया है। उनकी पेंटिंग का शीर्षक ‘मुलाकात की स्टोरीलाइन’ था। वसंत जेल की कैंटीन में काम करते हैं। दिल्ली की तिहाड़ जेल-6 में बंद कैदी गायत्री देवरी को ‘जेल में मुलाकात’ विषय पर उनकी पेंटिंग के लिए दूसरा पुरस्कार मिला है। पेशे शिक्षक गायत्री 2023 से तिहाड़ जेल में बंद हैं। तीसरा पुरस्कार 2018 से जिला जेल, लखनऊ में बंद विचाराधीन कैदी आनंद सिंह को दिया गया है।

इस साल 13 बंदियों को पेंटिंग कैटेगरी में सांत्वना पुरस्कार मिला है। इनमें से 8 सजायाफ्ता और 5 विचाराधीन कैदी हैं। विजेताओं में 9 पुरुष और 4 महिलाएं शामिल हैं। उत्तर प्रदेश से सबसे 3 बंदियों (गाजियाबाद जिला जेल से नवाब, लखनऊ जिला जेल से राम कृपाल और मिर्जापुर जिला जेल की शिखा) को अवॉर्ड मिला है।

छत्तीसगढ़ से 2 विजेता रायपुर केंद्रीय जेल के खेतान निर्मलकर और बिलासपुर केंद्रीय जेल की नीता सराफ), महाराष्ट्र से 2 विजेता (पुणे की यरवडा ओपन जिला जेल के अविनाश अर्जुन लोकेगांवकर और ठाणे केंद्रीय जेल के सुरेश रामसिंह विश्वकर्मा) और उत्तराखंड से भी 2 विजेता (देहरादून जिला जेल के भारत जोशी और नई टिहरी जिला जेल के गिरीश लाल) हैं।

अन्य राज्यों के विजेताओं में ललित (मॉडल जेल, चंडीगढ़), मेघा प्रमोदभाई शाह (साबरमती केंद्रीय जेल, गुजरात), मोहन लाल (जिला जेल, करनाल, हरियाणा), एस. अप्साना (महिला विशेष जेल, वेल्लोर, तमिलनाडु) शामिल हैं।

स्पेशल मेंशन पुरस्कार उन कैदियों को दिया जाता है जो जेल के भीतर असाधारण पहल दिखाते हैं, अपने साथियों के कल्याण और उत्थान में सार्थक योगदान देते हैं तथा सामूहिक जेल अनुभव को समृद्ध बनाते हैं। इस साल इस श्रेणी में कुल 4 विजेता हैं, जिनमें से 3 सजायाफ्ता हैं और 1 विचाराधीन कैदी है।

गुजरात की अहमदाबाद केंद्रीय जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे प्रजापति हार्दिक राजेंद्रभाई को स्पेशल मेंशन अवॉर्ड से नवाजा गया है। उन्होंने अपनी जेल में शिक्षा का क्रांतिकारी परिवर्तन किया है। प्रजापति हार्दिक राजेंद्रभाई ने कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के लिए 100 अन्य कैदियों को शिक्षित किया। 2022 से 2024 के बीच 54 कैदी सफलतापूर्वक परीक्षा पास कर चुके हैं। अकेले 2024 में, 16 कैदियों ने 10वीं और 18 कैदियों ने 12वीं की परीक्षा 100 प्रतिशत सफलता के साथ उत्तीर्ण की, उनकी अथक मेहनत के लिए उन्हें यह सम्मान दिया गया है।

2019 से हरियाणा की करनाल जिला जेल में बंद अशोक कुमार को भी स्पेशल मेंशन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। उन्होंने तिनका जेल रेडियो के माध्यम से अशिक्षित कैदियों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया और शिक्षित कैदियों को उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर करने का प्रयास किया है।

महाराष्ट्र के पुणे स्थित यरवडा ओपन जिला जेल में बंद महेश शमराव पवार सजायाफ्ता कैदी हैं. उन्हें उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए स्पेशल मेंशन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। डॉक्टर महेश (बीएमएचएस ग्रेजुएट) ने 2016 से अन्य कैदियों को असाधारण चिकित्सा सहायता प्रदान की है। कोविड महामारी के दौरान अपने पिता को खोने के बावजूद, उन्होंने निस्वार्थ सेवा जारी रखी। उन्होंने एचआईवी/एड्स, क्षय रोग और कोविड-19 के लिए स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए और पैरा लीगल वॉलंटियर के रूप में भी सेवा दी।

उत्तर प्रदेश के आगरा जिला जेल में बंद भरत खरे एक विचाराधीन कैदी हैं, उन्हें अन्य कैदियों को हस्तकला का ज्ञान प्रदान करने के लिए सम्मानित किया गया। वर्तमान में आगरा जेल में कैदी परिषद के सहायक सरपंच के रूप में कार्यरत भरत बिना किसी अनुभव के जेल में आए थे, जेल प्रशासन के मार्गदर्शन में उन्होंने जूता निर्माण का कौशल सीखा और एक सफल जूता उद्योग की स्थापना में मदद की। उन्होंने अन्य कैदियों को भी कुशल कारीगर बनने का प्रशिक्षण दिया। उनके नेतृत्व ने कई कैदियों को कमाने और अपने परिवारों का पालन-पोषण करने में सक्षम बनाया है।

तिनका तिनका बंदिनी अवॉर्ड पुरस्कार महिला कैदियों को समर्पित है, जिन्होंने जेल जीवन में सार्थक योगदान दिया है। इस श्रेणी में दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश से कुल 3 विजेता हैं. इनमें 2 विचाराधीन और 1 सजायाफ्ता हैं।

जाम्बिया देश की मूल रूप से निवासी मॉरीन क्यान्यांगा 2021 से तिहाड़ जेल-6 में विचाराधीन कैदी हैं, उन्हें तिनका तिनका बंदिनी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। अपने पति हम्फ्री क्यान्यांगा के निधन के बाद उन्होंने अन्य कैदियों को अवसाद से बाहर आने में मदद की। हिंदी सीखने की उनकी उत्सुकता उन्हें और बेहतर करने के लिए प्रेरित करती है।

विचाराधीन कैदी सोनिया साल 2021 से पंजाब के पटियाला केंद्रीय जेल में बंद हैं. उन्हें भी इस साल तिनका तिनका बंदिनी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। वह अपनी जेल में अन्य कैदियों के लिए एक रोल मॉडल हैं। खुद के लिए किसी भी मुलाकात या सहायता के बिना भी, उन्होंने दूसरों के जीवन में रोशनी बिखेरी है। निस्वार्थ और सहानुभूति से भरपूर सोनिया अपना अधिकतर समय अन्य कैदियों की मदद और उन्हें प्रेरित करने में बिताती हैं।

उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित नारी बंदी निकेतन की सजायाफ्ता कैदी रंजना को तिनका तिनका बंदिनी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। पिछले 12 वर्षों के अपने कारावास के दौरान उन्होंने चिकनकारी कढ़ाई की बारीक कला सीखी है। उन्होंने जेल के वातावरण में सकारात्मक बदलाव लाते हुए उसकी खूबसूरती बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। रंजना ने अन्य महिला कैदियों को भी चिकनकारी कढ़ाई सिखाई है। अब तक दर्जन से अधिक महिलाएं उनके मार्गदर्शन में यह कला सीख चुकी हैं। उनकी प्रेरणादायक सकारात्मक सोच ने जेल में अन्य महिला कैदियों को भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया है।

जेल प्रशासकों को उनकी उत्कृष्ट कार्यक्षमता, कर्तव्य के प्रति समर्पण और सुधार कार्यों के लिए सम्मानित किया जाता है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए नामांकन संबंधित राज्यों के जेल महानिदेशकों द्वारा भेजे जाते हैं। इस साल 3 जेल प्रशासकों को सम्मानित किया गया गई, जिनमें 2 महिलाएं हैं।

जिला जेल अलीगढ़ के वरिष्ठ अधीक्षक बृजेंद्र सिंह को सूबे के भीतर जेल सुधार के प्रति उनके समर्पण के लिए सम्मानित किया गया है। उनके मार्गदर्शन में कई प्रगतिशील पहलें शुरू की गईं। खुरजा जेल में उन्होंने टेलरिंग वर्कशॉप स्थापित की, जिससे कैदियों ने 1,67,000 से अधिक वर्दियां तैयार कीं। शाहजहांपुर जेल में उन्होंने पेपर बैग निर्माण यूनिट शुरू करवाई, जिससे 100 से अधिक कैदियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण मिला। अलीगढ़ जेल में उन्होंने स्थानीय एनजीओ के सहयोग से कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किए, जहां महिला कैदी मिट्टी के दीये और मूर्तियां बनाने में संलग्न हुईं।

रमन शर्मा 1996 से दिल्ली जेल विभाग में अपनी सेवाएं दे रही हैं. उनके सबसे उल्लेखनीय योगदानों में पर्यावरणीय कार्यक्रम शामिल हैं, जैसे गौरैया बचाओ परियोजना और जीरो प्लास्टिक वेस्ट अभियान। उन्होंने ब्श्र-14 में एक आर्ट गैलरी स्थापित की, जहां कैदियों को अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करने का अवसर मिला। उन्होंने हथकरघा यूनिट, एफएम स्टूडियो और किचन गार्डनिंग जैसी परियोजनाएं शुरू कर कैदियों को जीवन कौशल सिखाए। उनकी साहित्यिक उपलब्धियों में 2013 और 2023 में प्रकाशित पुस्तक तिनका तिनका तिहाड़ में उनका महत्वपूर्ण योगदान शामिल है।

सफीना हसन (वॉर्डर) साल 2006 से छत्तीसगढ़ के रायपुर केंद्रीय जेल में एक समर्पित महिला प्रहरी के रूप में कार्य कर रही हैं। पिछले 18 वर्षों में उन्होंने कैदियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विशेषकर उन्होंने जरूरतमंदों को तत्काल चिकित्सा सहायता और अस्पताल में भर्ती करवाने का काम किया। उन्होंने महिला कैदियों के लिए नियमित योग सत्र, कानूनी सहायता और साक्षरता शिविर आयोजित किए। लोक अदालत सत्रों के दौरान उन्होंने कैदियों का मार्गदर्शन किया और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया। इसके अलावा, जेल में रहने वाले बच्चों को आश्रम स्कूलों में दाखिला दिलाया और उन्हें आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई. उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए उन्हें यह सम्मान दिया गया है।

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