केएम में लगने वाले निःशुल्क नेत्र परीक्षण शिविर से प्रतिदिन लाभान्वित हो रहे है दर्जनों मरीज
मथुरा (संवाददाता आलोक तिवारी )। स्वास्थ्य की राजधानी केएम मेडिकल कालेज एंड हॉस्पिटल ने केएमयू के कुलाधिपति किशन चौधरी के निर्देशानुसार निःशुल्क नेत्र परीक्षण शिविर लगाया हुआ है। इस शिविर आंखों के मरीजों का इलाज निःशुल्क किया जाता है। शिविर सुबह नौ से शाम चार बजे तक हॉस्पिटल की ओपीडी में लगा हुआ है। प्रतिदिन दर्जनों मरीज नेत्र परीक्षण कराकर लाभान्वित हो रहे है।
केएम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति किशन चौधरी ने बताया कि केएम हॉस्पिटल का उद्देश्य हर मरीज को अच्छी और बेहतर चिकित्सा निःशुल्क व कम खर्चे पर उपलब्ध कराकर स्वस्थ जीवन प्रदान करना है। ब्रज के किसी मरीज को उपचार के लिए महानगरों की तरफ न भागना पड़े एवं ब्रज क्षेत्र को निरोगी रखने के लिए नेत्र परीक्षण शिविर केएम हॉस्पिटल में लगा हुआ है।
विदित रहे कि केएम में पूरे साल चलने वाले निःशुल्क नेत्र परीक्षण शिविर में ऑपरेशन निःशुल्क किए जा रहे है। रोजाना निःशुल्क दर्जनों मरीज चिकित्कीय परार्मश निःशुल्क ले रहे। नेत्र रोग के विभागाध्यक्ष एमके तनेजा के निर्देशन में डा0 निधि जैन, डा0 मीमंशा माहेश्वरी, डा0 पंकज कुलश्रेष्ठ ने मोतियाबिन्द से ग्रस्त मरीजों के ऑपरेशन सफलतापूर्ण किये है। मरीज स्वस्थ्य है, उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही है।
नेत्र रोग विभागाध्यक्ष एमके तनेजा ने बताया केएम में फंडस कैमरा, ओसीटी जैसी अत्याधुनिक मशीनों के होने से यहां सफेद मोतियाबिंद, काला मोतियाबिंद तथा आंखों के पर्दे (रेटिना) पलक बंदी से पीड़ित मरीजों का आसानी से आपरेशन और उपचार सम्भव हो पाता है। हमारे यहां स्पेशलिस्ट चिकित्सक और लेटेस्ट मशीनें होने से किसी भी तरह की आंखों की परेशानी का उपचार सहजता से सम्भव है। नेत्र रोग विभाग में ग्रीन लेजर, रेटिना एंजियोग्राफी, ओसीटी, रेटिना में सूजन, टोनोमेट्री, गोनियोस्कोपी, ग्लूकोमा, एक्स्ट्रा ऑक्यूलर सर्जरी, रेटिनोस्कोपी, आंखों की सोनोग्राफी जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां डायबिटिक तथा हाइपरटेंसिव मरीजों के रेटिना सम्बन्धी विकारों की जांच एवं इलाज की भी पूर्ण सुविधा है।
डा0 निधि जैन और डा0 मीमंशा माहेश्वरी ने बताया कि आँख के प्राकृतिक लेंस की पारदर्शिता कम होने के कारण धुंधला दिखाई देता है, जिसे मोतियाबिंद कहते हैं। मोतियाबिंद सामान्यता दोनों आँखों में विकसित होता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में यह केवल एक आँख को प्रभावित करता है। अधिकतर 40 वर्ष की आयु के बाद या उम्र बढ़ने पर आँखों में मोतियाबिंद विकसित होता हैं।
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