महापौर और आयुक्त की तकरार के बीच में लटका मथुरा के 70 वार्डाे का विकास, पार्षद हुए लामबंद

Jan 21, 2025 - 21:39
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महापौर और आयुक्त की तकरार के बीच में लटका मथुरा के 70 वार्डाे का विकास, पार्षद हुए लामबंद

मथुरा। मथुरा वृंदावन महानगर पालिका का माहौल इस सर्द भरे मौसम में भी खूब गरमा रहा है, जिसका मुख्य कारण लंबे अरसे से मथुरा वृंदावन नगर निगम के महापौर विनोद कुमार अग्रवाल और नगर आयुक्त के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई रहा है। मथुरा वृंदावन नगर निगम की जनता द्वारा नगर निगम चलाने के लिए विनोद कुमार अग्रवाल को जिम्मेदारी दी और वहीं शासन प्रशासन ने नगर आयुक्त को, दोनों ही मथुरा वृंदावन नगर निगम की व्यवस्था और शहर के विकास के लिए अपने-अपने पद पर संविधान के अनुसार बने हुए है पर शासन प्रशासन और संविधान द्वारा दोनों को जो अधिकार दिए है वो एक और एक ग्यारह बन कर दोगुनी ताकत के साथ जनता की सेवा के लिए दिए है पर मथुरा नगर निगम में दोनों ही संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति जनहित कार्य को छोड़कर आपसी प्रतिस्पर्धा में जुट गए और मथुरा वृंदावन नगर निगम द्वारा विकास की योजनाओं को जनता तक समय रहते नहीं पूरा किया जा रहा।

विवाद काफी दिनों से चल रहा है पर अब मथुरा वृंदावन नगर निगम क्षेत्र में आने वाले 70 वार्डाें के पार्षद अपने-अपने क्षेत्र में विकास कार्य न होने से वार्ड की जनता की नाराजगी झेल रहे हैं। अब सभी पार्षदों ने लामबंद होकर मोर्चा खोल दिया है। 70 पार्षदों में से 65 पार्षदों का सीधा आरोप महापौर पर ही है कि वो अपनी मनमर्जी के कारण जनता के विकास के लिए पारित 42 करोड़ रुपए के विकास कार्यों की फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण क्षेत्रों में विकास कार्य नहीं हो पा रहा।

मथुरा वृंदावन नगर निगम के पार्षदों ने निगम के सभागार में बैठक कर महापौर के खिलाफ जंग का बिगुल फूंक दिया है। पार्षदों द्वारा बैठक कर निर्णय लिया कि महापौर द्वारा शीघ्र ही बोर्ड बैठक नहीं बुलाई तथा 15वें वित्त आयोग से समस्त वार्डाे में 60 लाख रुपए की लागत से होने वाले विकास कार्यों की पत्रावली को मंजूरी नहीं दी गई तो सभी पार्षद नगर निगम कार्यालय पर धरना देने के लिए मजबूर होंगे। इस बैठक के बाद सभी पार्षदों ने अपने हस्ताक्षर किया हुआ एक-एक पत्र महापौर को प्रेषित किया है।

पार्षदों ने कहा कि बीते चार माह से कोई बैठक आहूत नहीं हुई, जिसके कारण विकास कार्य ठप पड़ चुके हैं। उन्हें जनता के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। 

इस बैठक के बाद महापौर विनोद कुमार अग्रवाल द्वारा सोशल मीडिया पर अपनी सफाई देते हुए एक प्रेस नोट रिलीज कर इस सारे मामले का ठीकरा नगर आयुक्त के सर फोड दिया है। महापौर विनोद कुमार अग्रवाल द्वारा अपने जारी पत्र में लिखा कि 13 सितंबर 2024 को बोर्ड की पिछली बैठक आहूत की गई, जिसमें 29 प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए। बैठक के उपरांत इसी बैठक में घोषित की गई कार्यकारिणी की बैठक 01 अक्टूबर 2024 को आयोजित की गई, जिसमें 5 प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किए गए। उन्होंने कहा कि  बैठक के बाद नगर आयुक्त द्वारा बैठक में पास किए गए प्रस्तावों पर तथा घोषित कार्यकारिणी पर नियम का हवाला देते हुए आपत्ति जताई।

महापौर विनोद कुमार अग्रवाल ने पत्र के माध्यम से बताया कि अगली बोर्ड बैठक का एजेंडा तैयार करने के लिए आवश्यक है कि पिछली बैठक के प्रस्तावों की स्थिति स्पष्ट हो कि किन प्रस्तावों को नगर आयुक्त ने मान्य किया और किस को नहीं, जिससे आगामी बैठक में निगम पार्षदों को अवगत करा सके कि किन प्रस्तावों को मान्य किया गया है। इस संबंध में महापौर ने बताया कि उनके द्वारा दिसम्बर माह में दो पत्र नगर आयुक्त को भेजे गए पर नगर आयुक्त ने कोई समुचित उत्तर प्रस्तुत नहीं किया। महापौर ने स्पष्ट किया कि उक्त सूचना प्राप्त होते ही मेरे द्वारा बैठक कराने में कतई देरी नहीं की जाएगी।

महापौर श्री अग्रवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि नगर आयुक्त द्वारा षड्यंत्र के तहत पार्षदों में भ्रम फैलाया जा रहा है कि महापौर के द्वारा 15वें वित्त की बैठक महापौर द्वारा नहीं की जा रही जबकि सत्य यह है कि 15वें वित्त की tied ग्रांट की बैठक हो चुकी है और untind के कार्य के लिए अधिकारों को दिशा निर्देश जारी कर दिए गए है।

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