निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने नववर्ष पर दी सुख, समृद्धि और आनंदमय जीवन की शुभकामनाएं
मथुरा (संवाददाता आलोक तिवारी)। निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने नववर्ष के उपलक्ष्य में सुख, समृद्धि और आनंदमय जीवन की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नववर्ष केवल एक नम्बर परिवर्तन है। वास्तविकता में यह केवल इंसानी मस्तिष्क की बनाई गई अवधारणा है। परमात्मा ने समय और सृष्टि को बनाया है, जिसमें अलग-अलग ग्रहों पर समय की अलग अवधारणा होती है इसलिए, नये वर्ष का अर्थ हर क्षण को सार्थक बनाना है। इस नये वर्ष में हमें अपने पुराने अनुभवों से सीख लेकर, अपने भीतर की कमियों को सुधारते हुए, अच्छाइयों को अपनाना चाहिए। मानवीय गुणों से युक्त जीवन ही सच्चा जीवन है।
मीडिया सहायक किशोर स्वर्ण ने बताया कि नववर्ष के उपलक्ष्य में दिल्ली के बुराड़ी रोड स्थित निरंकारी चौक के ग्राउंड नम्बर 8 में विशेष सत्संग समारोह आयोजित हुआ, जिसमें मथुरा के भी तमाम भक्तों ने सतगुरु माता सुदीक्षा जी एवं निरंकारी राजपिता रमित जी के पावन सान्निध्य में उनके दिव्य दर्शन और प्रेरणादायक प्रवचनों से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का सुखद आनंद प्राप्त किया।
निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने कहा कि सच्ची खुशी और आनंद केवल निरंकार प्रभु में समाहित है। इस नये वर्ष में हमें अपने जीवन को ऐसा बनाना है कि हम हर व्यक्ति तक इस सच्चाई को पहुंचा सकें। हमें अपने जीवन को इस तरह ढालना है कि हर पल, हर कार्य में प्रभु की महत्ता को समझ सकें। सेवा, सुमिरण और संगत का वास्तविक अर्थ तभी प्रकट होगा, जब हम इसे दिल से अपनाएंगे। केवल मित्रता या सामाजिक दबाव के कारण अपनी आध्यात्मिकता में परिवर्तन नहीं करना चाहिए। सच्चे मन और जागरूकता से ही हम अपने जीवन को परमात्मा से जोड़ पाएंगे। उन्होंने कहा कि अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए, हर कार्य में निरंकार को समाहित करना जरूरी है। यही वह मार्ग है, जो हमारे जीवन में आध्यात्मिक जागरूकता और संतोष का विस्तार करता है। इस नये वर्ष में हमें अपने पुराने अनुभवों से सीख लेकर, अपने भीतर की कमियों को सुधारते हुए, अच्छाइयों को अपनाना चाहिए। मानवीय गुणों से युक्त जीवन ही सच्चा जीवन है।
इस मौके पर निरंकारी राजपिता रमित जी ने सभी संतों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज के समय में समाज और मानव जीवन से परमात्मा की जिज्ञासा धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है। लोग परमात्मा के अस्तित्व पर संदेह कर रहे हैं और सत्य की राह देखने के बजाय उसे नकारने में लगे हैं। यह स्थिति केवल इसलिए है क्योंकि कई लोग परमात्मा को पाने का दावा करते हैं, लेकिन सच्चे प्रयास नहीं करते। सतगुरु के ज्ञान से हमें जो सत्य प्राप्त हुआ है, वह केवल कहने-सुनने तक सीमित न रहे। यह हमारे जीवन में महसूस हो और ऐसा महके कि समाज के लिए वरदान बन सके। हमारा जीवन परमात्मा की ओर प्रेरित करने वाला बने, न कि दिखावे तक सीमित रहे। उन्होंने कहा कि सेवा, सुमिरण और संगत के बिना भक्ति अधूरी है। सच्चा जीवन वही है जिसमें परमात्मा का प्रेम और भक्ति का वास हो। हमें प्रेम, समर्पण और जिम्मेदारी के साथ मानव परिवार को साथ लेकर चलना है। सत्संग के इस अमूल्य पहलू को सजाते हुए अपने जीवन को ऐसा साधन बनाएं कि हम प्रभु के निकट जा सके और दूसरों के लिए प्रेरणा स्वरूप बने।
मथुरा के जोनल इंचार्ज एच0के0 अरोड़ा ने बताया कि हाइवे नवादा स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर हर दिन सुबह 8 से 9 बजे तक और हर रविवार को सुबह 11 से 1 बजे तक जिला स्तर पर सार्वजनिक सत्संग होता है, इसी दौरान बच्चों के लिए बाल सत्संग भी अलग से होता है जबकि हर बुधवार को दोपहर 3 से 4ः30 बजे तक महिला सत्संग होता है, क्योंकि संत निरंकारी मिशन आध्यात्मिक सांझा मंच है, इसलिए निरंकारी भवन पर होने वाले सत्संग कार्यक्रमों में कोई भी आ सकता है।
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