मथुरा में स्पेशल डीजीसी अलका उपमन्यु ने रचा सजा कराने का इतिहास

Feb 11, 2025 - 20:12
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मथुरा में स्पेशल डीजीसी अलका उपमन्यु ने रचा सजा कराने का इतिहास

मथुरा। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की संतुति पर राज्यपाल आनंदीबेन द्वारा नियुक्त मथुरा में पॉक्सो न्यायालय में स्पेशल डीजीसी अलका उपमन्यु एडवोकेट द्वारा अपने सवा चार साल के कार्यकाल में ऐतिहासिक निर्णय कराकर देश की पहली सरकारी अधिवक्ता बन गयी हैं। जेल के कैदी ही नहीं अब तो ब्रजवासी भी उन्हें फांसी वाली मैडम बोलने लगे हैं।

डीजीसी अलका उपमन्यु एडवोकेट ने अपने सवा चार साल के कार्यकाल के अंदर ऐतिहासिक निर्णय कराए है, इसके लिए उन्हें उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख गृह सचिव एवं डीजीपी द्वारा पुलिस मेडल एवं प्रशस्ति पत्र तथा अभियोजन विभाग के डीजीपी एवं कमिश्नर अपर पुलिस महानिदेशक डीआईजी व डीएम द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर उनके कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा भी की है। यही नहीं उन्हें लगातार दो बार से गणतंत्र दिवस की परेड में सरकार के कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण सिंह द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर के सम्मानित किया गया है। वहीं जिले की सांसद हेमा मालिनी द्वारा भी प्रशस्ति पत्र देकर उनके कार्य की प्रशंसा की गई है।

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पॉक्सो न्यायालय में स्पेशल डीजीसी पद पर तैनात अलका उपमन्यु एडवोकेट ने एक फांसी की सजा घटित घटना के  22वें वर्किंग डे में, दूसरी फांसी की सजा 35 दिन में, तीसरी फांसी की सजा 42 दिन में और चौथी फांसी की सजा 14 महीने में कराई है, जो देशभर में अभियोजन विभाग में एक इतिहास है। यही नहीं 50 से अधिक घटनाओं में अपराधियों को आजीवन  की सजा अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा करायी है। जो लोग पहले रिपोर्ट दर्ज करा देते हैं और फिर समझौता कर लेते हैं और कोर्ट में आकर अपने बयान से मुकर जाते हैं ऐसे ढाई सौ से अधिक केसों में 22 पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत जुर्माना आदि की सजा करा कर सरकार को लाखों का राजस्व जमा कराया है।

उन्होंने जनता से कहा कि अगर कोई अपराध आपके साथ या आपके परिवार के साथ होता है तो डरिये मत डटकर मुकदमा लड़िए। रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद किसी के दबाव में आकर अपने बयान से पीछे न हटे। न्याय पाने के लिए संघर्ष करना जरूरी है, क्योंकि अपराधी को सजा तभी मिलेगी जब पीडित मजबूती से खड़ा रहेगा। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य है कि जरूरतमंदों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाए। मैं चाहती हूं कि गरीब और वंचित वर्ग के लोग भी कानूनी लड़ाई लड़ सकें। समाज में न्याय को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सामाजिक कानूनी जागरुकता कार्यक्रम चलाने पर ध्यान दूंगी।

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