कूटरचित दस्तावेज से गुरुकुल वृन्दावन की बेशकीमती जमीन बेचने का मामला ठण्डे बस्ते में हुआ तब्दील

Jan 30, 2025 - 16:47
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कूटरचित दस्तावेज से गुरुकुल वृन्दावन की बेशकीमती जमीन बेचने का मामला ठण्डे बस्ते में हुआ तब्दील

मथुरा (संवाददाता आलोक तिवारी)। उत्तर प्रदेश में जहां एक ओर योगी आदित्यनाथ की सरकार आपराधिक गतिविधियों और जमीनों पर अवैध कब्जे करने वाले माफियाओं पर नकेल कसने में पूरा जोर लगा रही है तो वहीं दूसरी ओर माफियाओं के कारनामों में भी कोई कमी नहीं आ पा रही है, यहां तक मन्दिर व शिक्षण संस्थानों की भूमि पर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर अवैध कब्जे करने में भी माफिया नही चूक रहे हैं।

ऐसा ही ताजातरीन मामला विश्वभर में धार्मिक नगरी के रूप पहचान रखने वाली वृन्दावन नगरी में आर्य समाज द्वारा संचालित गुरुकुल विश्वविद्यालय की बेशकीमती करोड़ों रुपये की जमीन पर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जमीन कब्जाने का है, जिसमें दर्जनभर लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज होने के बाद अब ठण्डे बस्ते में तब्दील हो गया है। इस मामले में जिम्मेदारान विभाग के आलाधिकारियों द्वारा कोई भी ठोस व सख्त कार्यवाही नहीं किये जाने से भूमाफियाओं के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। साथ ही मुख्यमंत्री के जीरो टॉलरेंस नीति पर भी सवालिया निशान लग रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार वृन्दावन में आर्य समाज द्वारा संचालित गुरुकुल विश्वविद्यालय के प्रधानाचार्य आचार्य हरिशरण आर्य द्वारा जनपद मथुरा के थाना वृन्दावन में 09 अगस्त 2024 को आईपीसी की धारा 323, 504, 506, 420, 467, 468 व धारा 471 के तहत मुकदमा संख्या 385/2024 दर्ज कराते हुए बताया गया कि गुरुकुल वृन्दावन की स्थापना वर्ष 1905 में हुई थी, जिसमें गुरुकुल शिक्षण संस्थान संचालित है, जहां पर गरीब व असहाय बच्चों को निःशुल्क वेदों, व्याकरण संस्कृत धार्मिक आध्यात्मिक व संस्कारों की शिक्षा प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि आर्य समाज के सम्भ्रांत व्यक्तियों द्वारा गुरुकुल वृन्दावन के प्रबंधन व संचालन की जिम्मेदारी आचार्य स्वदेश जी को दी गई, जो वर्ष 2011 से वह गुरुकुल वृन्दावन का प्रबंध व संचालन करते चले आ रहे हैं। 

थाना वृन्दावन में दिये प्रार्थना पत्र में आचार्य हरिशरण आर्य ने बताया कि गुरुकुल वृन्दावन का परिसर विभिन्न खसरा नम्बरों में दर्ज कुल 16-964 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है, जिस पर गुरुकुल वृन्दावन का करीबन 119 वर्षों से अधिपत्य चला आ रहा है और राजस्व अभिलेखों में गुरुकुल वृन्दावन के नाम भी दर्ज है, जिसमें से खाता नम्बर 221 का क्षेत्रफल 8-937 खसरा नम्बर 415, 416, 417, 420, 421, 422, 453, 454, 455, 456, 458क, 459, 460ख, 462, 522, 525ख, 526, 527, 528, 529ख मौजा राजपुर बांगर तथा खाता नम्बर 159 क्षेत्रफल 6-006 हेक्टेयर के खसरा नम्बर 460क, 464, 524, 525क, 529क, मौजा राजपुर बांगर और खाता नम्बर 4 का क्षेत्रफल 2-021 खसरा नम्बर 59, 60, 61, 62, 63, 65, 66 यानी कुल भूमि 16-964 गुरुकुल वृन्दावन के अधिपत्य व कब्जे में चली आ रही ह,ै जिसमें गुरुकुल वृन्दावन की बाउंड्री वाल बनी हुई है। गुरुकुल वृन्दावन के अंदर शिक्षण संस्थान, गौशाला तथा यज्ञशाला के भवन का निर्माण गुरुकुल वृंदावन द्वारा कराया गया है, जिस पर भूमाफियाओं के द्वारा लगातार अवैध कब्जे का प्रयास किया जा रहा है ।
  
थाना वृन्दावन में आचार्य हरिशरण आर्य द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में दिनांक 6 जून 2024 की शाम 7 बजे वह गुरुकुल वृन्दावन में मौजूद थे तभी दो कारों में सवार सात व्यक्ति गुरुकुल वृन्दावन के परिसर में घुसकर फीता डालकर नापतौल करने लगे, जब उन व्यक्तियों से इस नापतौल के बारे में पूछा तो उन व्यक्तियों ने अपना नाम इस्माइल शाह पुत्र स्व0 बाबू शाह, असलम शाह पुत्र कमरू शाह, यूनुस पुत्र इसहाक, राजेश शाह पुत्र इस्लाम शाह निवासीगण मौहल्ला व्यापारियान कस्बा राया जनपद मथुरा व गिरीश कुमार अग्रवाल पुत्र श्रीनिवास निवासी तिवारी का बाड़ा धौली प्याऊ शहर मथुरा, महेश शर्मा पुत्र मुंशी लाल इनकम टैक्स ऑफिस के पास राधिका विहार शहर मथुरा के अलावा यूनुस पुत्र भूरा निवासी कसाई पाड़ा शहर मथुरा, शहजाद वेग पुत्र नवाब वेग गली अहेरियान डीग गेट मथुरा व वीरेन्द्र शर्मा पुत्र मुंशीलाल निवासी गुरुनानक नगर शहर मथुरा ने बताया कि इस भूमि के मालिक असलम शाह व इस्माइल व यूनिस और राजेश हैं और इस जमीन का सौदा गिरीश कुमार अग्रवाल और गिरीश कुमार की पत्नी नीलिमा अग्रवाल व महेश शर्मा व युनुस पुत्र भूरा को कर दिया गया है। आचार्य हरिशरण आर्य ने जब उक्त लोगों का विरोध किया तो इन लोगों द्वारा गाली गलौज करते हुए दो करोड़ रुपये की मांग की गई, वहीं उक्त लोगों द्वारा एक इकरारनामा की फ़ोटो कॉपी दिखाते हुए बताया कि खसरा नम्बर 460क, 464, 424, 525, 529 के स्वामी असलम, इस्माइल, यूनुस वशीरन व जैतून शाह राजेश शाह पुत्र इस्लाम शाह निवासीगण मौहल्ला व्यापारियान थाना राया हैं और यह जमीन साठ लाख रुपये में गिरीश कुमार अग्रवाल पुत्र श्रीनिवास अग्रवाल व उनकी पत्नी नीलिमा अग्रवाल, महेश शर्मा पुत्र मुंशीलाल व यूनुस पुत्र भूरा के नाम इकरारनामा कर दिया है, जिसका सब रजिस्ट्रार कार्यालय मथुरा में 18 मार्च 2024 को पंजीकृत है ।

वहीं आचार्य हरिशरण आर्य ने 09 अगस्त 2024 को थाना वृन्दावन दर्ज कराई एफआईआर में यह भी बताया है कि 9 व 10 जून 2024 की मध्यरात्रि करीब एक बजे जब वह गुरुकुल वृंदावन में सो रहे थे, तभी इन सभी आरोपितों ने गुरुकुल वृन्दावन परिसर में जेसीबी मशीन से तोड़फोड़ की गई और परिसर जो खुर्द बुर्द करने का प्रयास किया गया तो उनके विरोध करने पर इन लोगों के द्वारा उनके साथ गाली गलौज करते हुए मारपीट की गई और गोली मारने तक की धमकी दी गई। हरिशरण आचार्य ने बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाई और उन्होंने दर्ज एफआईआर में बताया है कि उनके द्वारा सब रजिस्ट्रार कार्यालय मथुरा से इन लोगों के द्वारा बताए गए 18 मार्च 2024 के इकरारनामा की नकल निकलवाई गई तो गुरुकुल वृन्दावन की सम्पत्ति खसरा नम्बर 460क, 464, 524, 525, 529 के कुल 6 हेक्टेयर से भी अधिक के क्षेत्रफल को कूटरचित तरीके से असलम शाह व इस्माइल शाह व यूनुस पुत्र इसहाक व बशिरन पत्नी इसहाक जैतून व राजेश शाह आदि के द्वारा गिरीश कुमार अग्रवाल व उनकी पत्नी नीलिमा अग्रवाल व महेश शर्मा व यूनुस पुत्र भूरा को फर्जी इकरारनामा कर दिया गया है।

धार्मिक नगरी वृन्दावन में करीबन 120 साल से संचालित गुरुकुल विश्विद्यालय की जमीन जिसमें वैदिक काल से सम्बंधित संस्कृति व संस्कारों का प्रचार प्रसार व छात्रों को शिक्षा ग्रहण कराई जाती है, के परिसर के 6 हेक्टेयर जैसे बड़ी जमीन को कूटरचित व फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेचने के मामले पर लगभग पांच महीने पहले दर्ज मुकदमे पर जिम्मेदारान विभाग के आलाधिकारियों द्वारा गम्भीरता न दिखाने व कोई सख्त कार्यवाही नहीं किये जाने से जहां एक ओर भूमाफियाओं के हौंसले बुलंद हो रहे हैं तो वहीं योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति पर भी सवालिया निशान लग रहा है ।

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