श्रीहित उत्सव चेरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा धूमधाम से किया गया गया श्रीयमुना महारानी का चुनरी मनोरथ
वृन्दावन। केशीघाट क्षेत्र स्थित रसरानी महाआरती घाट पर श्रीहित उत्सव चेरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा कार्तिक मास के उपलक्ष्य में श्रीयमुना महारानी का दिव्य व भव्य चुनरी मनोरथ श्रीप्रियावल्लभ कुंज के सेवायत आचार्य विष्णु मोहन नागार्च एवं प्रख्यात भागवताचार्य श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च के पावन सानिध्य में अत्यंत श्रद्धा और धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।
कवर्धा दुर्ग, रायपुर, विलासपुर, अकोला, मुंबई आदि नगरों से पधारे समस्त भक्तों-श्रद्धालुओं ने वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य श्रीयमुना महारानी का पूजन करके दीप दान किया गया। साथ ही लाल चुनरी से श्रीयमुना महारानी का मनोरथ किया। तत्पश्चात् धूनी आरती व महाआरती आदि के कार्यक्रम किए गए। साथ ही प्रख्यात भजन गायकों द्वारा यमुना महारानी की महिमा से ओतप्रोत भजनों का गायन किया गया।
इससे पूर्व गाजे-बाजे के मध्य भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो कि वंशी अली की कुंज शाहजहांपुर मंदिर, प्रताप बाजार, अनाज मंडी, श्रीप्रियावल्लभ कुंज का दक्षिण द्वार, बनखंडी महादेव, लोई बाजार, निधिवन, राधारमण मंदिर, गोपीनाथ बाजार होते यमुना तट-केशीघाट पर संपन्न हुई।
श्रीप्रियावल्लभ कुंज के सेवायत आचार्य विष्णु मोहन नागार्च ने कहा कि यमुना महारानी समस्त ब्रजवासियों की परमाराध्य हैं। उनकी महिमा वेदों व पुराणों में भी कही गई है। गर्ग संहिता के अनुसार श्री यमुना महारानी गोलोक से ही आयी हैं और गोलोक ही पहुंचती हैं। इन्होंने सदियों और सभ्यताओं के उत्थान-पतन देखे, लेकिन इनका प्रवाह कभी बाधित नहीं हुआ। यमुना महारानी ने अपने पिता सूर्यदेव और भ्राता शनिदेव को भी ब्रज में ही बसाया है, जिनके दर्शनों के लिए यहां देश-विदेश के श्रृद्धालु ब्रज में आते हैं।
श्रीहित उत्सव चेरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापकाध्यक्ष व प्रख्यात भागवताचार्य श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च ने कहा कि यमुना महारानी सप्त नदियों में से एक हैं। ये अत्यंत चमत्कारी व पुण्यदाई हैं। इनकी पूजा व आराधना करने से व्यक्ति को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल के वेदव्यास, सौभर ऋषि, गर्गाचार्य, पाराशर, अत्रि, दुर्वासा आदि की विद्या का विकास भी यमुना महारानी की धारा के संस्पर्श से ही हुआ है।
इस अवसर पर मुख्य यजमान निर्मल कुमार, मोहित कुमार, रोहित कुमार, विनीत कुमार माहेश्वरी, कवर्धा (छत्तीसगढ़), वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, आचार्य रसिक वल्लभ नागार्च, तरुण मिश्रा, भरत शर्मा, डॉ. राधाकांत शर्मा, हितवल्लभ नागार्च आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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