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Tuesday, September 17, 2024

यायावर रंगमण्डल द्वारा आयोजित नाट्य कार्यशाला में ज्योतिष का चमत्कार तथा थैंक यू बच्चों नाटक का हुआ मंचन

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लखनऊ। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के सहयोग से उल्लास बाल पर्व 2024 के अन्तर्गत यायावर रंगमण्डल द्वारा आयोजित नाट्य कार्यशाला में तैयार प्रस्तुतियां जिसका मोहम्मद हफ़ीज़ के निर्देशन में ज्योतिष का चमत्कार तथा थैंक यू बच्चों नाटक का मंचन संगीत नाटक अकादमी लखनऊ में सफल मंचन हुआ।

नाटक में संजय अपने दोस्तों के साथ रामलीला में होने वाले नाटक की रिहर्सल में जुटा हुआ है। इसी बीच संजय के दादा जी की तबियत खराब हो जाती है और एक सड़क छाप ज्योतिष दादा जी को बता देता है कि उनकी जीवन लीला बहुत ही जल्द समाप्त होने वाली है। दादा जी ज्योतिषी की बातों को सच मान बैठते है। यह बात जब संजय के दोस्त रमेश को मालूम होती है तो वह खुद एक ज्योतिषी बाबा का भेष बनाकर दादा जी के पास आता है और अपनी बातों से दादा जी को वशीभूत कर उनको बताता है कि आप सौ वर्षों तक जियेंगे। दादा जी उसकी बातों से प्रसन्न हो उठते है और अपने आप को बिल्कुल भला चंगा महसूस करने लगते है। फिर रमेश अपने दोस्तों के साथ अपना राज खोलता है और तब दादा को इस बात का अहसास होता है कि हमें ज्योतिषियों और बाबाओं के चक्कर में नही पड़ना चाहिए और अपने जीवन में अन्धविश्वास को जगह नहीं देनी चाहिए। नाटक में अभिनव सिंह, आदित्य सिंह, अनमोल मित्तल ने मुख्य भूमिका निभाई।

वहीं यायावर रंगमण्डल द्वारा आयोजित दूसरे नाटक थैंक यू बच्चों में लेखन कार्यशाला में लेखन की प्रक्रिया से होते हुए बच्चो ने नाटक लिखा तथा उसमें अभिनय भी किया, जिसमें दिखाया कि दादी जी रिया और यश को बहुत प्यार करती है और उन्हें अच्छी बातों की शिक्षा देती रहती हैं। वहीं दूसरी ओर रिया और यश की मम्मी (मान्यता) दादी जी से अच्छा व्यवहार नहीं करती हैं। उनके खिलाफ अपने पति (रोहित) के कान भरती रहती हैं। जब मान्यता की सहेली (स्वाती) उससे मिलने आती है। वह पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित नई विचार धारा की युवती हैं। वह मान्यता को समझाती है कि बूढ़ा को कहां तक झेलोगी इन्हें तुम ‘ओल्ड एज होम’ भेज दो तब मान्यता रोहित को समझाती है कि मां जी को हमे ‘ओल्ड एज होम’ भेज देना चाहिए। जब यह बात रिया और यश को पता चलती है तो वह दोनो अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपने मम्मी पापा को सबक सिखाने के उद्देश्य से उनके साथ वैसा ही व्यवहार करते है जैसे कि वह उनकी दादी के साथ करते रहे हैं। अपने बच्चों के व्यवहार से उन्हे इस बात का एहसास होता है, कि वह जो बच्चों की दादी के साथ कर रहें थे। मान्यता और रोहित अपने बच्चो को थैंक यू बोलते है कि कि बच्चों का पहला स्कूल उनका घर परिवार होता है और माता पिता उनके पहले शिक्षक होते हैं। हमें अपने वच्च्चो को अच्छी शिक्षा के साथ – साथ नैतिक मूल्य और अच्छे संस्कार बचपन से ही सिखाने चाहिए ताकि बच्चें बड़े होकर एक अच्छा इंसान और एक अच्छा नागरिक बन सकें।

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