मथुरा मंदिर-मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद कोर्ट में सुनवाई, एआई को पक्षकार न बनाने की मांग

Mar 6, 2025 - 21:30
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मथुरा मंदिर-मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद कोर्ट में सुनवाई, एआई को पक्षकार न बनाने की मांग

मथुरा (संवाददाता आलोक तिवारी)। श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल की गई डेढ़ दर्जन याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज एक बार फिर सुनवाई हुई। आज की सुनवाई में सूट नंबर एक और सोलह के हिंदू पक्षकारों ने अपनी याचिका में संशोधन किए जाने की अर्जी दाखिल की। सूट नंबर एक और सोलह के याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार के माध्यम से आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया को भी पक्षकार बनाए जाने की अनुमति दिए जाने की मांग की।

हालांकि मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति दाखिल की। मुस्लिम पक्ष के साथ ही कई हिंदू पक्षकारों ने भी इस पर ऐतराज जताया। कई हिंदू पक्षकारों ने भी सूट नंबर एक के याचिकाकर्ता भगवान श्रीकृष्ण विराजमान एट कटरा केशव देव ख़ेवट और सूट नंबर 16 के याचिकाकर्ता देवता भगवान श्रीकृष्ण लला विराजमान की याचिकाओं में संशोधन की इजाजत की मांग खारिज किए जाने की दलील पेश की।

मुस्लिम और हिंदू पक्षकारों की तरफ से कहा गया कि इससे मुकदमे का निपटारा होने में दिक्कत होगी, यह सिविल सूट दो पक्षों के बीच का है और इसमें केंद्र सरकार के माध्यम से आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया को पक्षकार बनाए जाने की कोई जरूरत नहीं है, मामले की सुनवाई जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की सिंगल बेंच में हुई।

आज की सुनवाई तकरीबन डेढ़ घंटे तक चली, सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने सूट नंबर एक और 16 में संशोधन की इजाजत दिए जाने की मांग वाली अर्जी पर अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया। अदालत ने ओपन कोर्ट में अपना आधा फैसला लिखाया, इस मामले में अदालत का फैसला एक-दो दिन बाद आ सकता है, हाईकोर्ट का फैसला सिर्फ दो सूट में संशोधन की इजाजत के बिंदु पर ही आएगा।

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट अयोध्या विवाद की तर्ज पर मथुरा के मंदिर मस्जिद विवाद में सीधे तौर पर सुनवाई कर रहा है। हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल किए गए मुकदमों में एक साथ सुनवाई हो रही है, हालांकि अभी तक मुकदमों का ट्रायल शुरू नहीं हो सका है, मुकदमों का ट्रायल शुरू होने के लिए अभी तक वाद बिंदु भी तय नहीं हो सके हैं। हाईकोर्ट में इस मामले में अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी, सभी पक्षों की तरफ से ज्यादातर अधिवक्ताओं ने आज ऑनलाइन मोड में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी दलीले पेश की।

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